MPPSE 2022 Update High Court New Notic OBC Category| हाईकोर्ट की और से राज्य शासन पीएसी और अन्य नोटिस

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राज्य शासन पीएसी और अन्य नोटिस हाईकोर्ट की एमपीपीएससी में 27% ओबीसी आरक्षण पर अंतिम रोक


हाईकोर्ट ने (MPPSC) एमपी पीएससी एग्जाम में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी है| हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और एमपी पीएससी को नोटिस जारी करते हुए सिर्फ 14 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण देने के निर्देश दिए|। हाईकोर्ट ने 27 प्रतिशत ओवेशी आरक्षण देने पर स्पष्टीकरण भी मांगा है| 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के खिलाफ जनरल कैटेगरी की छात्रा निहारिका त्रिपाठी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 31 दिसंबर को जारी एमपी पीएससी के रिजल्ट को चुनौती दी थी| इस पर बुधवार की सुनवाई हुई| मप्र सरकार ने राज्य में ओबीसी आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 फ़ीसदी कर दिया था| इसके खिलाफ दायर की गई याचिका पर हाई कोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में ओबीसी वर्ग को वर्ग की तरह ही 14 प्रतिशत आरक्षण जारी रखने के लिए 19 मार्च 2019 को अंतरिम आदेश दिया था|

इसी तरह हाईकोर्ट ने एमपी पीएससी द्वारा विभिन्न पदो की परीक्षाओं की चयन सूची में भी ओबीसी वर्ग को 14 फ़ीसदी की आरक्षण दिए जाने का अंतरिम आदेश किया था| साथ ही चार अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए भी 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी| ओबीसी आरक्षण के समर्थन, ईडब्ल्यूएस आरक्षण, न्यायिक सेवा में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण, महिला आरक्षण तथा एनएचएम में आरक्षण के संबंध में भी याचिकाएं दायर की गई थी| इन तमाम याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है| इसके बावजूद राज्य सरकार ने 31 दिसंबर 2021 को एमपीपीएससी का रिजल्ट 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर जारी कर दिया था| बता दे कि जिस तरह से मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण का मामला महाराष्ट्र में भी जारी है| महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रहा है|


हाईकोर्ट केरेगा चार अप्रैल को होगी अगली सुनवाई


मध्य प्रदेश में सीएम राइज स्कूलों में प्राचार्यों की नियुक्ति के उल्लंघन के मामले में हाई कोर्ट ने आदेश दिया इसमें कहा है, कि प्राचार्यों की नियुक्ति हाईकोर्ट के निर्णय के अधीन रहेगी| वही, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है| मामले की अगली सुनवाई 4 अप्रैल को होगी|


  • शासन व पीएसी सहित अन्य को नोटिस जारी कर मांगा जवाब
  • याचिकाकर्ता की दलील|
  • किसी भी सूरत में आरक्षण का कुल प्रतिशत 50 से ज्यादा नहीं हो सकता|
  • सभी के आरक्षण मिलाकर कुल 63% पर पहुंच गया जो ठीक नहीं|
  • 2021 को घोषित पीएससी के रिजल्ट में ओबीसी को दिया गया 27 परसेंट आरक्षण|


संशोधित नियमों से पीएससी बनाएगा प्रावीण्य सूची


मप्र लोकसभा आयोग (पीएससी) ने मेरिट सूची बनाने के पुराने नियम को बदल दिया है 2015 से चले आ रहे राज्य सेवा परीक्षा नियम में 20 दिसंबर को संशोधन कर दिया गया है| इसके जरिए पीएससी ने मेरिट सूची तैयार करने के लिए नियम लागू कर दिए हैं| इससे आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को लाभ होता देख रहा है| साथ ही अनारक्षित श्रेणी की मेरिट सूची बिना वर्ग का भेदभाव किए सभी के लिए खुल गई है|

दो दिन पहले पीएससी ने दंत शल्य चिकित्सक परीक्षा और सहायक संचालक सामाजिक न्याय विभाग की उत्तर सूची जारी कर दी है| दोनों प्रकार के पदों के लिए लिखित परीक्षा जनवरी में हुई थी| पीएसी ने उत्तर सूची के साथ उम्मीदवारों के लिए सूचना जारी की है, की संशोधित नियमों के अनुसार ही अब प्रवीण सूची बनाई जाएगी|


इस प्रकार समझी नियम


  • पुरानी नियम: ज्यादा अंक हासिल करने वाले आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को उन्हीं के वर्ग के लिए आरक्षित सीटें दे दी जाती थी| आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार इस पर आपत्ति जता रहे थे|


  • नए नियम: अब सबसे ज्यादा अंक हासिल करने वाले उम्मीदवारों को बिना उनका वर्ग देखें पहले अनारक्षित श्रेणी की मेरिट सूची में रखा जाएगा| फिर वर्ग के अनुसार सूची तैयार होगी| इस तरह कम अंक पाने वालों को उनके बार गए के मेरिट सूची में स्थान मिल सकेगा|


  • फायदा किसे: संशोधित नियम से अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए प्रतियोगिता कठिन होती नजर आ रही है, जबकि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए चयन सूची में जगह बनाना आसान होता दिख रहा है|


पीएससी को करनी होगी नए सिरे से सूची जारी


अधिवक्ता संधि में बताया कि उच्च न्यायलय के उक्त अंतरिम आदेश के साथ ही पीएससी को नए सिरे से सूची जारी करनी होगी| इसके तहत मुख परीक्षा 2021 के पिछड़ा वर्ग उमीदवारों को 27 के बदले 14 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित करना होगा| इसे सामान सहित अन्य वर्ग के जो आवेदक पिछड़ गए थे, वे स्थान पा सकेंगे| शीर्ष न्यायालय ने अपने पूर्व आदेशों में जो व्यवस्था दी है, उसके अनुसार आरक्षण का प्रतिशत किसी भी हालात में 50 प्रतिशत से अधिक न होने पाए| लेकिन इस मामले में ऐसी गलती हुई| इसलिए न्याय की मांग की गई है| उच्च न्यायालय ने अंतरिम राहत दे दी है| लिहाजा, अंतिम आदेश भी याचिकाकर्ता के हक में सुनाए जाने की उम्मीद जग गई है| इसे लेकर लंबे समय से सामान वर्ग के छात्र आवाज उठाते आए हैं| जबकि ओबीसी संगठन 27 प्रतिशत आरक्षण की मांग पर अड़े हैं| इस सिलसिले में उच्च न्यायलय से शीर्ष न्यायालय तक बहस हो चुकी है| इसके बावजूद आरक्षण का प्रतिशत संवैधानिक व्यवस्था के विपरीत निर्धारित करना सर्वथा अनुचित है|



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